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शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम् ।
न सूक्तं नापि ध्यानम् च न न्यासो न च वार्चनम् ॥ २ ॥
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति दशमोऽध्यायः
कुञ्जिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत् ।
श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तर शतनामावलिः
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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति चतुर्थोऽध्यायः
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने से विपदाएं स्वत: ही दूर हो जाती हैं और समस्त कष्ट से मुक्ति मिलती है। यह सिद्ध स्त्रोत है और इसे करने से दुर्गासप्तशती पढ़ने के समान पुण्य मिलता है।
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वादशोऽध्यायः
श्री प्रत्यंगिर अष्टोत्तर शत नामावलि
दकारादि दुर्गा अष्टोत्तर शत नामावलि
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति सप्तमोऽध्यायः